Talked to media in Delhi (April 20)

Talked to media in Delhi (April 20) सवाल- आपका आज दिल्ली दौरा है और 10 जनपथ पर 3 दिन से बड़ी बैठकें चल रही हैं जिसमें प्रशांत किशोर एक नया चेहरा है, जो मौजूद रहे हैं। आज आपका पूरे दिन का क्या कार्यक्रम रहेगा और क्या आप भी उस बैठक में शामिल होंगे? जवाब- बैठक में तो शामिल होने के लिए ही आए हैं, प्रशांत किशोर जी के बारे में जो सवाल है, वो एक ब्रांड बन गए हैं देश के अंदर कि भई 2014 के अंदर पार्लियामेंट में वो मोदी जी के साथ थे, एनडीए के साथ थे, फिर वो नीतीश जी के साथ गए, फिर वो पंजाब में गए कांग्रेस के साथ गए, तो ये तो एक प्रोफेशनल काम है सबका अपना, कई एजेंसियां और भी हैं, उनसे भी संपर्क होते रहते हैं, परंतु क्योंकि प्रशांत किशोर का नाम, पीके का नाम बड़ा हो गया, इसलिए आप लोगों के लिए न्यूज है। हर व्यक्ति का अनुभव काम लेना ही चाहिए विपक्ष को भी, बल्कि सत्ता वाली पार्टी भी काम लेती है अपने तरीके से, तो ये कोई बहुत ऐसा नहीं है कि पहली बार ही हो रहा है। हम लोग भी लगातार जो ऐसी एजेंसियां हैं, या जो ऐसे एक्सपर्ट्स हैं, उनसे राय लेते रहते हैं, तो पीके का नाम बड़ा हो गया तो वो चर्चा में आ गया बस, इतना मैं मानता हूं और अगर उसका अनुभव काम आता है मान लो विपक्ष को एकजुट करने के अंदर और मोदी जी की जो गवर्नमेंट है एनडीए गवर्नमेंट, उनके खिलाफ संघर्ष करने के अंदर, जिसकी आज देश को सबसे बड़ी आवश्यकता ये है, ये देश जो है मैं बार-बार कहता हूं कि किस दिशा में जा रहा है और किस दिशा में जाएगा, किसी को नहीं मालूम, पर अब मालूम पड़ने लग गया है। जिस प्रकार की हिंसा हो रही है देश के अंदर जगह-जगह, रामनवमी पर 7-8 राज्यों में हिंसा हो गई, करौली में पहले ही हिंसा हो गई थी और जिस चालाकी से ये लोग कर रहे हैं, हिंसा में नुकसान किसी को हो रहा है और सोशल मीडिया पर चलाएंगे कि दूसरे पक्ष के लिए कहेंगे कि इनको ज्यादा नुकसान हो गया, हिंदू-मुस्लिम की बात कर देंगे, नुकसान अगर मुस्लिम का होगा तो ये कह देंगे कि हिंदुओं को बहुत बड़ा नुकसान हो गया, भड़का देंगे लोगों को। इतनी खतरनाक पॉलिटिक्स चल रही है देश के अंदर, उसको पूरे देशवासियों को, नौजवानों को विशेष रूप से समझना पड़ेगा कि सच्चाई क्या है? खाली धर्म के नाम पर आप अगर हम लोग बिलकुल ही एक तरफ सोचने लग जाएंगे, तो वो देशहित में नहीं होगा। आने वाले वक्त में पूरे देश को, पूरे प्रदेश को और नौजवानों को भुगतना पड़ेगा। मेरा मानना है कि हिंसा का नाम देश और दुनिया में कहीं होना ही नहीं चाहिए, ये गांधी जी ने हमें सिखाया था, हिंसा का जवाब कभी हिंसा नहीं हो सकता है, इस एक लाइन से समझ जाइए, उन्होंने कहा कि एक आंख किसी की अगर फोड़ोगे, उसके बदले अगर एक आंख फोड़ने का वापस तय करोगे तो पूरा विश्व अंधा हो जाएगा, इस एक वाक्य से समझ सकते हैं कि हिंसा किसे कहते हैं। आज हिंसा को बढ़ावा देने वाले ये लोग हैं, मुझे अफसोस इस बात का होता है, हमेशा सत्ता पक्ष जो होता है, वो कोई हिंसा कर भी रहा है विपक्ष में, भड़का रहा है, तो उसको भी रोके, उसको कंडेम भी करे और ये प्रयास करे सभी तरह से कि किसी कीमत पर हम हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेंगे, ये तो मैंने देखा है चाहे मुख्यमंत्री हो, चाहे प्राइम मिनिस्टर हो, या मंत्री हो, या कोई विधायक हो, या एमपी हो, जो राजनीति में हैं, उल्टी गंगा बह रही है, बुला-बुलाकर प्रधानमंत्री जी कह रहे हैं MPs को कि आप लोग कुछ नहीं कर पा रहे हो राजस्थान के अंदर, आप तो वो ही काम करो जो किरोड़ी मीणा कर रहा है मतलब धमाल पट्टी करो, कानून को तोड़ो, हाथ में लो, लोगों को भड़काओ, आग लगाओ, ये अगर प्रधानमंत्री जी कह रहे हैं मैंने जो सुना है, सच्चाई तो आप मालूम कीजिए, आप मीडिया वाले हो कि आप किरोड़ी मीणा जो कर रहा है वो क्या सही है? तो आप सोच लीजिए कि किरोड़ी मीणा क्या कर रहा है, नंबर 1, कल जेपी नड्डा साहब ने बुलाया यहां पर लोगों को, अगर वो ये कहें कि देखिए अशोक गहलोत जो है, बहुत अटैक कर रहा है प्रधानमंत्री जी पर और गृह मंत्री जी पर कर रहा है। आपको चाहिए कि आप उनके ऊपर इतने अटैक करो, इतनी धमाल पट्टी करो उनके खिलाफ में, व्यक्तिगत हो, चाहे कैसी भी हो, जिससे कि वो अपने जवाब देने में ही फंस जाए, तो प्रधानमंत्री जी और गृह मंत्री जी पर अटैक नहीं हो और मैं प्रधानमंत्री जी पर, गृह मंत्री पर मैंने कोई आलोचना नहीं की, मैं अटैक करता ही नहीं हूं, मैं खाली जो हम लोग विपक्ष में अगर केंद्र में हैं, तो मैं खाली वो ही बात कहता हूं, अगर कोई प्रधानमंत्री या गृह मंत्री चिंतन-मनन करे दिल के अंदर, तो मेरी आलोचनाओं को वो सकारात्मक रूप से लेकर देशहित के अंदर फैसले कर सकते हैं। अगर मैं ये कहूं कि प्रधानमंत्री जी को चाहिए कि देश को संबोधित करें कि हम बर्दाश्त नहीं करेंगे, हिंसा करने वाले चाहे कोई धर्म के लोग हों, हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई कोई हों, उनको मैं कंडेम करता हूं और हिंसा करने वाले सभी लोग एंटी-सोशल एलीमेंट हैं ये लोग और मैं राज्य सरकारों को कह रहा हूं कि वो कोई कीमत पर बर्दाश्त नहीं करें इनको, अगर ये मैं प्रधानमंत्री को कहता हूं, तो इसमें बुराई क्या है? प्रधानमंत्री के दिल में ये भाव आना चाहिए कि विपक्ष तो बोलेगा और हमें इसमें, अगर सुझाव अच्छा है, आज नहीं तो कल मानेंगे, या वो खुद नहीं संबोधित करना चाहते देश को, और कोई तरीका निकालें देशवासियों को मैसेज देने के लिए। तो मेरी समझ के परे है कि अगर मैं गृह मंत्री के बारे में या प्रधानमंत्री जी के बारे में मैं अगर कोई बात बोलता हूं तो विद डिग्निटी बोलता हूं, मैं प्रधानमंत्री पद की डिग्निटी को, गृह मंत्री पद की डिग्निटी को जानता हूं क्या होती है, जहां सरदार पटेल बैठे थे, आज क्या हो रहा है? गृह मंत्री जी खुद ही सरकारें गिरा रहे हैं और वो भी हॉर्स ट्रेडिंग करके, मध्यप्रदेश में, राजस्थान में कोशिश कर ली, महाराष्ट्र में, झारखंड में, ये डेमोक्रेसी है क्या? अगर मैं इनकी आलोचना करूं इस बात को लेकर, तो इनके मन में ये भाव आने चाहिए कि भई देखिए आलोचना हो रही है, पब्लिक क्या सोचेगी? दुर्भाग्य से कांग्रेस के शासन के अंदर हमेशा कोई विपक्ष बोलता था, उसमें बीजेपी भी थी, तो कांग्रेस के नेता चाहे सोनिया गांधी जी हों, चाहे राजीव गांधी जी हों, चाहे वो नरसिम्हा राव जी हों, चाहे इंदिरा जी हों, 4 को मैंने देखा है, तो वो कहते थे, वो सोचते थे दिल के अंदर लोग क्या कहेंगे देशवासी, ये घटना-दुर्घटना हो गई है, आरोप लगे हैं मंत्री पर किसी पर, तो हमें एक्शन करना चाहिए वरना लोग क्या कहेंगे? इनको जो है वो लोग क्या कहेंगे वो भय नहीं है इनको। इनको इतना घमंड आ गया है कि जो कुछ भी हैं हम खुद ही हैं बस, हमने जो कह दिया वो बिलकुल लोह की लकीर है, लोग क्या कहेंगे वो परवाह ही मत करो, इसलिए ये तमाशे हो रहे हैं देश के अंदर और ये लोग क्या कहेंगे, परवाह नहीं करेंगे, तो ये लोग ऐसा सबक सिखाएंगे कि ये छकड़ी भूल जाएंगे, ये मेरा मानना है। सवाल- कल जब बैठक हुई तो एक बात हुई कि गहलोत सरकार को बाहर करने के लिए सत्ता से एकजुट होना पड़ेगा, एकजुट होना पड़ेगा, बार-बार एकजुटता पर फोकस जेपी नड्डा ने रखा? जवाब- वो प्रधानमंत्री जी से प्रेरणा लेकर कह रहे हैं, जब उन्होंने कह दिया किरोड़ी मीणा जी के बारे में, वो ही टोन वो बोल रहे हैं, सत्ता से बाहर करने के लिए एकजुट रहना पड़ेगा, अब आपने तो 6-6 उम्मीदवार बना दिए मुख्यमंत्री के, अब 6 उम्मीदवार बनाओगे तो भुगतना पड़ेगा आपको। जो आपकी उम्मीदवार थीं, उनको तो आपने पीछे ढकेल दिया और 6-6 उम्मीदवार बना दिए हैं, तो भुगतो अब आप, भुगतो और अब हमारे लिए मुसीबत है। एक नेता उनका हो तो हम उनसे बात करें, पक्ष-विपक्ष मिलकर कोई ऐसे इश्यू होते हैं राजस्थान के अंदर उन पर चर्चा करें, उनको हल करें, वो तो माहौल इन्होंने खत्म कर दिया है, खत्म ही कर दिया है, नेता प्रतिपक्ष जो हैं वो कल क्या बोले आप देखिए, वो कल क्या बोले, परसों क्या बोले, महाराणा प्रताप के बारे में क्या बोले और अब किसके बारे में बोल गए वो? सवाल- रावण सीता ? जवाब- बताइए आप, अब रावण का एग्जाम्पल उनको ये ही मिला क्या, सीता ही मिलीं क्या? तो मुझे लगता है कि आधा, मेंटली डिस्टर्ब लगते हैं वो मुझे, गुलाबचंद कटारिया मेंटली डिस्टर्ब लगते हैं, अपनी पार्टी में या तो उनको सम्मान नहीं मिल रहा है, कुछ न कुछ कारण जरूर है कि वो भभक जाते हैं, जब मीडिया के सामने वो आते हैं तो ऐसे-ऐसे शब्द काम में लेते हैं, चाहे मेरे बारे में हों, चाहे और नेताओं के बारे में हो, कोई सोच नहीं सकता कि ऐसे शब्द काम में लिए जाते हैं क्या? पर गुलाबचंद कटारिया जी का मैं व्यक्तिगत रूप से बहुत सम्मान करता हूं, बहुत बुजुर्ग हैं, चाहे वो आरएसएस के कैडर के आदमी हैं, पर उनकी बोली-चाली जो है, उनको मैंने कई बार समझाने का प्रयास भी किया कि आप एक लिमिट के आगे मत बढ़ो, बिलो द बैल्ट हिट मत करो, पर वो चूक ही नहीं सकते, महाराणा प्रताप के बारे में क्या-क्या बातें बोल दीं, क्या राजस्थान के लोग भूल सकते हैं उनको? इतना गुस्सा राजस्थान के लोगों में है कि कोई कल्पना नहीं कर सकता, विशेषकर राजपूत कम्युनिटी के अंदर, छत्तीसों कौम के अंदर, वो ही बात रावण-सीता की बात हो गई, क्या हिंदू लोग इस बात को बर्दाश्त करेंगे क्या? हिंदुत्व की बात करते हैं, राष्ट्रवाद की बात करते हैं, इनका राष्ट्रवाद चुनाव जीतने के लिए है, इनका हिंदुत्व चुनाव जीतने के लिए है, हमारा हिंदुत्व धार्मिक भावना के आधार पर है, हम सबको गर्व है कि हम हिंदू हैं, गांधी जी ने ये कहा कि मुझे गर्व है कि मैं हिंदू हूं, पर हर धर्म का सम्मान करना हमारा कर्त्तव्य बनता है, ये उन्होंने कहा था। अगर सब धर्म वाले खुद के धर्म के अलावा उनका भी सम्मान करने लग जाएं दूसरे धर्मों का, तो मेरा मानना है कि उसके बाद में कोई दिक्कत नहीं रहेगी, न हिंसा होगी, आपस में सब धर्म, सब जातियों के लोग प्रेम से, भाईचारे से, प्यार से, मोहब्बत से रहेंगे, हिंसा का नाम नहीं होगा और देश विकास करने के लिए चाहे सरकार एनडीए की हो, चाहे यूपीए की हो, आगे बढ़ने के अंदर सब मिलकर काम करेंगे, ये मेरा मानना है, धन्यवाद।

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